Today, a very rare and powerful mantra is being shared by me here dedicated to Goddess Tulsi.
By reciting 1 mala of this mantra daily, the sadhak gets great intelligence and remembrance powers.
This mantra is especially effective for school and college going students who want to score well in exams and have the desire to study but are unable to remember or understand the topics.
Other than this, by reciting this mantra, the sadhak can get great knowledge about his various field of endeavour.
There isn't much procedure for this mantra.
After having bath, the sadhak must light a pure ghee diya in front of tulsi maa and chant 1 mala of this mantra using sphatik mala.
The mantra can be chanted as many days as the sadhak wants.
Since Tulsi Maa is a pratyaksh goddess, the mantra will show instant results.
Aasan: Kush Aasan
Mala: Tulsi Mala
Direction: East/facing Tulsi Maa
Diya: pure ghee diya
Other than this, basic rules like guru pujan, panch dev puja etc must be performed.
The sadhak must also do puja of Maa Tulsi by offering kumkum, white chandan, white flowers and gangajal/raw milk to her.
।। सर्वस्य बुद्धिरूपेण जनस्य ह्रदि संस्थिते ।
स्वर्गापवर्गदे देवि नारायाणि नमोस्तुते ।।
स्वर्गापवर्गदे देवि नारायाणि नमोस्तुते ।।
Jay Shri Rama
Hare Krishna. Thanks for your post. Request to you, please post rare Giriraj Govardhan puja or sadhana or Radharani puja or sadhana
ReplyDeleteyour servant
प्रश्न --
Deleteकौन है राधा ,कैसा रूप है ,कैसी मूर्ती है ,.....(का सा राधा कीदृशं रूपं का मूर्तिः किं ध्यानं
किं कीलकं किं बीज्ं को मन्त्रः ॥ )
उत्तर ---
श्रीराधा परम प्रकृति हैं ,वही लक्ष्मी हैं ,वही सरस्वती हैं ...(श्रीराधेति परमप्रकृतिः सैव लक्ष्मीः सरस्वती सैवलोककर्त्री लोकमाता देवजननी ॥गोलोकवासिनी गोलोकनियन्त्री वैकुण्ठाधिष्ठात्री रूपंदाहोवतीर्णा सुवर्णवर्णप्रध्वंसनमूर्तिः ॥
सर्वाङ्गसुन्दरी ध्यानं द्विभुजा कमलनयना त्रैलोक्यमोहिनी ध्यायेदिति )
इसे श्रीराधा तापपणीस्तुति में प्रश्नोत्तर रूप में दर्शाया गया है .विनियोग,ध्यान,और जपमन्त्र भी दिया है .अंत में फलश्रुति भी है
॥ श्रीराधातापिनीस्तुतिः ॥
सहोवाच ।
का सा राधा कीदृशं रूपं का मूर्तिः किं ध्यानं
किं कीलकं किं बीज्ं को मन्त्रः ॥
का निवाहनानि कत्यङ्गानि किं पुरश्चरणं कः समाधिः ॥
किमनेन साध्यते ॥
किं फलं किं बलं गुणो यथा मन्त्रस्तत्सर्वं ब्रूह्हीति ॥
सहोवाच ।
श्रीराधेति परमप्रकृतिः सैव लक्ष्मीः सरस्वती सैव
लोककर्त्री लोकमाता देवजननी ॥
गोलोकवासिनी गोलोकनियन्त्री वैकुण्ठाधिष्ठात्री रूपं
दाहोवतीर्णा सुवर्णवर्णप्रध्वंसनमूर्तिः ॥
सर्वाङ्गसुन्दरी ध्यानं द्विभुजा कमलनयना त्रैलोक्यमोहिनी ध्यायेदिति ॥
अथर्वणोक्तध्यानं किं कीलकमिति ॥
सहोवाच ॥
ह्रां ह्रीं ह्रूं ह्रैं ह्रौं ह्रः ॥
इति महाकीलकमिति किं बीजमिति ॥
सहोवाच ॥
ॐ श्रीराधिकायै हुं फट् ॥
इति कीलकमेष वै परमो मन्त्रः ॥
इति बीजमुच्यते ॥
को मन्त्र इति सहोवाच ॥
ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं हुं फट् स्वाहेति मन्त्रः ॥
एतस्य श्रीभगवान् कृष्णः परमात्मा देवतेति षडक्षरोयं मन्त्र इति ॥
ओमिति बीजं फडिति शक्तिः श्रीमिति कीलकं ह्रीमित्यस्रं
क्लीमिति कीलकमिति चतुर्वर्गसिद्धौ विनियोगः ॥
अथ ध्यानं
शृणु सुवर्णकेतकीवर्णाभ्यां द्विभुजां कमलनयनां
बिम्बोष्ठीं राधिकां कृष्णमनोहरवतीं त्रैलोक्यमोहिनीम् ॥
श्रीमद् वृन्दावननिकेतनां ध्यायेदिति यो जपति शतमष्टोत्तरम् ॥
सर्वलोकाञ्जयति सर्वजनान् वशीकरोति सर्वदेवाधिको भवति ॥
वाञ्छति चेत् पुत्रपौत्रादिकमाप्नोति सस्वर्गलोकमश्नुते ब्रह्मलोके महीयते
दिक् पालत्वमाप्नोति गन्धर्वविद्यानिपुणो भवति सङ्गीतविद्याचतुरो भवति
सर्ववेदपारायणं लभते सर्वतीर्थफलमश्नुते ॥
सर्वाँल्लोकाञ्जयति सर्वान् देवाञ्जयति लोकाधिपो भवति ॥
सुतलादिलोकमनोहरो भवति ॥ अर्तीव प्रियतरो भगवद्विष्णोर्भवति ॥
इयं श्रीराधातापिनी पठिता श्रुता गृहे लिखित्वा स्थापिता श्रीमतः ॥
श्रीकृष्णस्य प्रेमभक्तिं कारयति श्रीकृष्णवल्लभो भवति ॥
श्रद्धावान् पठनशील इति ॥
सहोवाच ॥
सर्वलोकासाधारण्यं प्राप्नोति ॥
सर्ववेदपाठजनितपुण्यापुण्यतरो भवति ॥
एवं यो वेदसपरमज्ञानी भवति ॥
परमभागवतो भवति परमसन्तुष्टो भवति ॥
परमाह्लादवान् भवति ॥ एतद् गुप्तं गोलोके ततो मनुष्यलोकमवतीर्णम् ॥
इति ह वेदवेदविद्भवति इत्याथर्वणीयम् ॥
इति श्रीराधातापिनीसमाप्तिमगात् ॥
hare krishna thank you satya nidhi ji for your reply. can it possible available in English or Bengali language.
ReplyDelete॥ শ্রীরাধাতাপিনীস্তুতিঃ ॥
Deleteসহোবাচ ।
কা সা রাধা কীদৃশং রূপং কা মূর্তিঃ কিং ধ্যানং
কিং কীলকং কিং বীজ্ং কো মন্ত্রঃ ॥
কা নিবাহনানি কত্যঙ্গানি কিং পুরশ্চরণং কঃ সমাধিঃ ॥
কিমনেন সাধ্যতে ॥
কিং ফলং কিং বলং গুণো য়থা মন্ত্রস্তত্সর্বং ব্রূহ্হীতি ॥
সহোবাচ ।
শ্রীরাধেতি পরমপ্রকৃতিঃ সৈব লক্ষ্মীঃ সরস্বতী সৈব
লোককর্ত্রী লোকমাতা দেবজননী ॥
গোলোকবাসিনী গোলোকনিয়ন্ত্রী বৈকুণ্ঠাধিষ্ঠাত্রী রূপং
দাহোবতীর্ণা সুবর্ণবর্ণপ্রধ্বংসনমূর্তিঃ ॥
সর্বাঙ্গসুন্দরী ধ্যানং দ্বিভুজা কমলনয়না ত্রৈলোক্যমোহিনী ধ্যায়েদিতি ॥
অথর্বণোক্তধ্যানং কিং কীলকমিতি ॥
সহোবাচ ॥
হ্রাং হ্রীং হ্রূং হ্রৈং হ্রৌং হ্রঃ ॥
ইতি মহাকীলকমিতি কিং বীজমিতি ॥
সহোবাচ ॥
ওঁ শ্রীরাধিকায়ৈ হুং ফট্ ॥
ইতি কীলকমেষ বৈ পরমো মন্ত্রঃ ॥
ইতি বীজমুচ্যতে ॥
কো মন্ত্র ইতি সহোবাচ ॥
ওঁ শ্রীং হ্রীং ক্লীং হুং ফট্ স্বাহেতি মন্ত্রঃ ॥
এতস্য শ্রীভগবান্ কৃষ্ণঃ পরমাত্মা দেবতেতি ষডক্ষরোয়ং মন্ত্র ইতি ॥
ওমিতি বীজং ফডিতি শক্তিঃ শ্রীমিতি কীলকং হ্রীমিত্যস্রং
ক্লীমিতি কীলকমিতি চতুর্বর্গসিদ্ধৌ বিনিয়োগঃ ॥
অথ ধ্যানং
শৃণু সুবর্ণকেতকীবর্ণাভ্যাং দ্বিভুজাং কমলনয়নাং
বিম্বোষ্ঠীং রাধিকাং কৃষ্ণমনোহরবতীং ত্রৈলোক্যমোহিনীম্ ॥
শ্রীমদ্ বৃন্দাবননিকেতনাং ধ্যায়েদিতি য়ো জপতি শতমষ্টোত্তরম্ ॥
সর্বলোকাঞ্জয়তি সর্বজনান্ বশীকরোতি সর্বদেবাধিকো ভবতি ॥
বাঞ্ছতি চেত্ পুত্রপৌত্রাদিকমাপ্নোতি সস্বর্গলোকমশ্নুতে ব্রহ্মলোকে মহীয়তে
দিক্ পালত্বমাপ্নোতি গন্ধর্ববিদ্যানিপুণো ভবতি সঙ্গীতবিদ্যাচতুরো ভবতি
সর্ববেদপারায়ণং লভতে সর্বতীর্থফলমশ্নুতে ॥
সর্বাঁল্লোকাঞ্জয়তি সর্বান্ দেবাঞ্জয়তি লোকাধিপো ভবতি ॥
সুতলাদিলোকমনোহরো ভবতি ॥ অর্তীব প্রিয়তরো ভগবদ্বিষ্ণোর্ভবতি ॥
ইয়ং শ্রীরাধাতাপিনী পঠিতা শ্রুতা গৃহে লিখিত্বা স্থাপিতা শ্রীমতঃ ॥
শ্রীকৃষ্ণস্য প্রেমভক্তিং কারয়তি শ্রীকৃষ্ণবল্লভো ভবতি ॥
শ্রদ্ধাবান্ পঠনশীল ইতি ॥
সহোবাচ ॥
সর্বলোকাসাধারণ্যং প্রাপ্নোতি ॥
সর্ববেদপাঠজনিতপুণ্যাপুণ্যতরো ভবতি ॥
এবং য়ো বেদসপরমজ্ঞানী ভবতি ॥
পরমভাগবতো ভবতি পরমসন্তুষ্টো ভবতি ॥
পরমাহ্লাদবান্ ভবতি ॥ এতদ্ গুপ্তং গোলোকে ততো মনুষ্যলোকমবতীর্ণম্ ॥
ইতি হ বেদবেদবিদ্ভবতি ইত্যাথর্বণীয়ম্ ॥
ইতি শ্রীরাধাতাপিনীসমাপ্তিমগাত্ ॥
also humble request to Ashok ji ,please post HARE KRISHNA MANTRA rare sadhana to get sddhi
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